जब कोई पंचामृत में, मिश्री तुलसी घोलता है,
ये पत्थर बोलता है – ये पत्थर बोलता है,
जब-जब धर्म की होती हत्या, जब प्रह्लाद सा रोये बच्चा -२
तब ये ब्रह्मा, विष्णु, शिव का आसन डोलता है…पत्थर बोलता हैं…(१)
तर्ज – पत्थर बोलता हैं…..
जब कोई राजा दक्ष घमंडी, कोई यज्ञ करे पाखण्डी
बढ़ता मान राज योगी का, जब अपमान हो शिव योगी का
जब-जब घटता मान सती कां, जब अपमान हो पार्वती का
तब ये क्रोधीशंकर नेत्र तिसरा खोलता है…. पत्थर बोलता है… (२)
जब दानव का बढ़ता गौरव, जब छल करते कपटी कौरव
जब कोई भक्तो का हक खाये, जब कोई उसके भक्त सताये
जब कोई कंश मारता बच्चे, जब-जब भक्त पुकारे सच्चे
तब ये चक्र सुदर्शन ले हाथों में दौड़ता है…पत्थर बोलता है…(३)
जब हो दशरथ सा तपस्वी, जब हो कौशल्या सी भक्ती
जब धरती से सीता प्रगटी, जब हो जनक के घर में बेटी
जब हो बाली सा व्यभचारी,जब रावण हरता पर नारी
तब ये रावण के अमृत का हण्डा फौड़ता है…पत्थर बोलता है….(४)
देखो पत्थर की ये मूरत, सबकी पूरी करे जरुरत
जो मूर्ति पे भरोसा करले. पत्थर पिघले. मर्ति बोले
कर्मा खिचड़ बैठ खिलाती, खिचड़ काठ की मूर्ति खाती
मीरा गीरधर गीरधर गाई, मूर्ति काठ की नचवाई
सारे भक्तो से ‘मुरली’ ये सच बोलता है…
पत्थर बोलता है ….
Singer – Murli Sharma