इतने सेठ जहां में मौज उड़ाते है,
उन्ही से पुछो कहा से लेकर आते है ,
पता लगाया हम ने इनके बारे में,
पता चला अक्सर खाटू जाते है,
इतने सेठ जहां में मौज उड़ाते है…
तर्ज – दूल्हे का सेहरा
श्याम हो जब साथ चिंता भला कैसी,
काम सारे हो रहे इसकी दया ऐसी,
हो गई पूरी तमाना चाहा था जैसा,
मिल गया हम को ठिकाना दुनिया में वैसा,
किसी के आगे हाथ नहीं फेहलाते है,
पड़े जरूरत सिधे खाटू जाते है,
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इतने सेठ जहां में मौज उड़ाते है…
उन्ही से पुछो कहा से लेकर आते है …
देखा इसने हाल जब इस नए ज़माने का,
पड़ गया चस्का इसे भी सेठ बनाने का,
आज़माना है अगर तुम आजमा लेना ,
खाटू जाकर ये करिश्मा भी देख लेना ,
निर्धन से निर्धन सेठ भी खाटू जाते है,
अगले दिन वो भी सेठ नजर आते हैं ,
निर्धन से भी निर्धन सेठ नजर आते हैं,
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इतने सेठ जहां में मौज उड़ाते है…
उन्ही से पुछो कहा से लेकर आते है…
हैं इरादा अगर तेरा भी मौज उड़ाने का ,
भक्तो तुम भी नियम बना लो खाटू जाने का,
खाटू आने जाने से किस्मत बदल जाती,
श्याम अच्छी खासी पहचान हो जाती ,
रोज रोज जो श्याम से मिलने जाते हैं,
जो हर गारश में श्याम से मिलने आते हैं,
साबरिया की अखो में बस जाते हैं,
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इतने सेठ जहां में मौज उड़ाते है…
उन्ही से पुछो कहा से लेकर आते है…