हो जाओ तैयार खाटू जाने के लिये,
शीश के दानी श्याम का दर्शन पाने के लिये ।।
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किसी ने पूछा क्यूँ जायें हम,
ऐसा क्या होने वाला, हमने कहा लगता है मेला,
फाल्गुन है आने वाला, लगता है दरबार,
ख़ुशी लूटाने के लिये ।।
शीश के दानी श्याम….
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घण्टा घनन घड़ावल बाजै,
पाँच आरती होती है, शंख-नगाड़ा-नौबत गूंजे,
अखण्ड ज्योति जलती है, कलियुग के अवतार,
चरण रज पाने के लिये ।।
शीश के दानी श्याम….
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जो कोई आता खुश रहता,
हरदम इनका वरदान है, इनकी शरण में आने से,
निश्चय ही कल्याण है, मत कर सोच विचार,
अमर पद पाने के लिये ।।
शीश के दानी श्याम….
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सच्चा साथी एक यही है,
बाकी भूल-भूलैया है, भवसागर का केवल केवट,
मेरा श्याम-कन्हैया है, मत करना इंकार,
भव तर जाने के लिये ।।
शीश के दानी श्याम….
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श्याम बगीची जाकर देखो, कितनी प्यारी लगती है,
अलूसिंहजी ने जिसे सजाया, बेशुमार महकती है,
श्याम कुण्ड में चाल, डुबकी लगाने के लिये ।।
शीश के दानी श्याम….
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इंद्रधनुष रंगों में ध्वजायें, शिखरबंध लहराती हैं,
चंद्र चादनी नील गगन से, श्वैत पुष्प बरसाती है,
महिमा अपरम्पार, शीश झुकाने के लिये ।।
शीश के दानी श्याम…