हे दुख भंजन मारूति नन्दन
सुनलो मेरी पुकार
पवन सुत विनती बारम्बार-२
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता
दुखियों के तुम भाग्य विधाता
सियाराम के काज संवारे-२, मेरा कर उद्धार
पवन सुत विनती बारम्बार-२
अपसम्पार है शक्ति तुम्हारी
तुम पर रीझे अवध बिहारी
भक्ति भाव से ध्याऊँ तोहे-२ , कर दुखों से पार
पवन सुत विनती बारम्बार-२
जपूं निरंतर नाम तुम्हारा
अब नहीं छोड़ूं तेरा द्वारा
राम भक्त मोहे शरण में छीजे-२,
भव सागर से तार, पवन सुत विनती बारम्बार-२