॥अस्थाई ॥
हे गिरधारी कृष्ण मुरारी, नैय्या करदयो पार-खिवैया बण ज्यावो
संकट हारी अर्ज गुजारी, लीले का असवार-खिवैया बण ज्यावो
( तर्ज: गाडी वाले मन बिठाले…. )
कैय्या रूस्या बैठ्या हो, बोलोजी श्याम बोलोजी।
रीस करो क्यूं टाबर पै, आंख्या तो प्रभु खोलोजी॥
झुर-झुर रोवे मन को पंछी, हिवडै रा आधार॥१
खिवैया…..
था रूस्यां नां पार पड, थां सूं प्रीत पुराणी है
मुलक्यां सरसी सांवरिया, निठुराई क्यूं ठानी है।
दीनानाथ अनाथ पुकारै, दुखिया थार द्वार॥२॥
खिवैया……
कुंज बिहारी बनवारी, मनड़ो म्हारो काचो है।
रूप तिहारो कान्हूड़ा, नैणां मांई राच्यो है।
फोड़ा घालो क्यूं तो बोलो, बोलो लख दातार॥३॥
खिवैया….
श्याम बहादुर सेवकियो, चाकर है सिरदारां को।
जन्म जन्म को साथिड़ो, केवटियो मझधारां को।
कृष्ण कन्हैया डगमग नैया, दीज्यो पार उतार॥४॥
खिवैया….