हे बांके बिहारी लाल,
मन्ने थारी याद सतावै है,
हिचक्यां ना रुकै गोपाल,
काछजो भर-भर आवै है ।।
(तर्ज:- आ लौट के आजा मेरे मीत…)
बांकी सी लटक, गई मन मं अटक,
थे कद-सी दरस दिखाओगा,
लागी चटक, गई आँख्यां भटक,
मनन्नै थे ही धीर बँधाओगा,
मेरी बिनती सुणो जी नन्दलाल ।
मनन्नै थारी याद सतावै है…
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जीवन धन, मिलणै की लगन,
थे मतना जीव दुखाओ जी,
नील गगन सो, थारो बदन,
मन्नै दरशन श्याम कराओ जी,
थानै न्यूत जिमास्यूं थाक्र |
मनन्नै थारी याद सतावै है…
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हरयै बांस की बांसुरिया गूँजी,
जीव मेरो भरमायो,
धेनू चरैया रास रचैया,
दिन-दिन दरद सवायो,
थारै गछ वैजयंती मा ।
मनन्नै थारी याद सतावै है…
श्यामबहादुर दर को भिखारी,
“शिव” थारो चाकरियो,
एक झलक दिखलाकै दयालु,
बेणा मनस्या भरियो,
मेरो पूरो करो जी सवाल |
मननै थारी याद सतावे है…