गोपाल सूना सूना तुझ बिन ये ब्रज है सारा
आ जाओं आ भी जाओं , क्यू हमकों है बिसारा
गोपाल…….
( तर्ज : में कही कवि ना बन जाऊ)
सूनी है,ब्रज की गलियाँ सुना है कुंज सारा
सूनो कदम की डाले. सूना चमन है सारा
यमुना का तट है सुना,-२ सूनी है, जल की धारा
गोपाल…….
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सूनी हैं दिल को धड़कन बिछड़ा जो मीत प्यारा
सूनी है, सारी स्खियाँ बंशी ने ऐसे मारा
राधा तेरो सिसकती -२ बहती है अश्रु धारा
गोपाल…….
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उधव मना के लाओ मेरे इयाम सांवरे को
कहना ना चैन कुछ भी बिन इयाम जान जी की
रयाम से मिला दें-२ एहसान ये तुम्हारा
गोपाल…….
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“भगवान् से जुड़ा है भगतों का ऐसा नाता
ले ज्योत कोई दीपक हँंसता है जगमगाता
दे प्रीत एसी-२ नन्दु बने तुम्हारा
गोपाल…….