घनश्याम तुम्हारी यादों में…Ghanshyam Tumhari Yadon Mein…

घनश्याम तुम्हारी यादों में
व्याकुलता बढ़ती जाती है,
क्या तुमसे छुपी है बात मेरी,
तेरी दूरी जीव दुखाती है ।।
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तुम चाहने वालों को अपने,
अंदाज़-ए-नज़र क्यूँ रखते हो,
माना की ये क़ाबिल प्यार के हो,
ये तिरछी नज़र बतलाती है ।।
घनश्याम तुम्हारी यादों…..
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है पहली ही नज़र में लूट लिया,
शिकवा भी करूँ: तो किससे करूँ,
बोझिल पलकें ये कहती है,
दर्दी को नींद ना आती है ।।
घनश्याम तुम्हारी यादों…..
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टुकड़े हो ज़िगर के तुम मेरे,
पतवार तुम्ही को सौंपी है,
जलवा है तेरा फरियादों में,
यादें तो दिल तड़फाती है ।।
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‘शिव’ श्यामबहादुर दास तेरा,
जगजाहिर सेवक ख़ास तेरा,
चौखट पे बिछी पगली आँखें,
क्यूँ भर-भर के झर जाती है ।।
घनश्याम तुम्हारी यादों…..

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