गल मोत्यां को हार…Gal Motyan Ko Har…

गल मोत्यां को हार,
सिर चुनड़ चमक धार,
देकर सोलाहा शृंगार,

माँ बनडी सी लागो जी,

तर्ज – ना कजरे की धार

थारे हाथ सुनी चंगी
माँ मेहँदी रची सुरंगी ,
चूड़ी की खन खन न्यारी

झांकी थारी सतरंग,
मन माहरो मोह लियो है

थारी पायल की झंकार,
गल मोत्यां को हार ……

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थारे माथे बिंदियां चमके
नथनी में हीरो दमके,
थाने देख देख कर  दादी

भगता के मंदो हरके,
जादू चढ़ गया है

माँ मैं भूली घर बार,
गल मोत्यां को हार ……

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थाने स्वाति निरखन ताई
थारे मंदिरया  में आई,
कवे हर्ष देख कर थाने

सूद बुध सारि बिसराई,
पल भर ना हटे निजना

मैं निखरुं बारम बार,
गल मोत्यां को हार …..

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