दुर्गा भवानी आई रे…Durga Bhawani Aayi Re…

दुर्गा भवानी आई रे, देवी दुर्गा-२
आई रथ पे सवार, छाया तेज वेशुमार ,
माँ खुशियाँ हजार लाई रे देवी दुर्गा | |
दुर्गा भवानी….
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तूही ने महिषासुर मारा, मधु कैटभ को तून पछाड़ा,
पहने मुण्डों की माला, क्रोध की भड़के ज्वाला,
रूप अनोखा पाई रे देवी दुर्गा ।।
दुर्गा भवानी…
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देवों के दुःखों को ठारे शुम्भ निशुम्भ दननुज संहारे,
तेरी ना शानी है, दुनिया ने मानी है,
महिमा सभी ने गाई रे देवी दुर्गा ।।
दुर्गा भवानी….
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जो कोई द्वार तुम्हारे आया, मुँह माँगा सबही ने पाया,
पल में भण्डार भरदे, तू जो चाहे सो करदे,
पर्वत बनादे राई रे, देवी दुर्गा ।।
दुर्गा भवानी….
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तुम्ही हो मांजण की जननी, “कमल” आश करे चरणन की.
दुखों ने घेरा है, जीवन ये मेरा है,
दिल में उदासी छाई रे देवी दुर्गा ।।
दुर्गा भवानी….

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