दरबार हजारों है ऐसा दरबार कहाँ,
जो श्याम से मिलता है, वो मिलता प्यार कहाँ || टेर ||
(तर्ज:- ऐ मेरे दिले नादां…)
जो आश लगा कर के, दरबार में आता है,
खाली झोली आता, भर कर ले जाता है,
माँगे सो मिल जाये, ऐसा भण्डार कहाँ || १ ||
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सब के मन की बातें, बड़े ध्यान से सुनता है,
फरियाद सुने बाबा, और पूरी करता है,
जहाँ सब की सुनाई हो, ऐसी सरकार कहाँ || २ ||
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कोई प्रेमी बाबा का, जब हमको मिल जाये,
सब रिश्तों से बढ़ कर, एक रिश्ता बन जाये,
ये श्याम धणी का है, ऐसा परिवार कहाँ || ३ ||
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“बिन्नू” ने जो चाहा दरबार से पाया है,
यहीं अपना सब कुछ है संसार पराया है,
इसे छोड़ मेरा सपना, होगा साकार कहाँ || ४ ||
Bhajan Request – Ayushi Deora