दादी जी या विनती म्हारी…Dadi Ji Ya Vinti Mhari…

दादी जी या विनती म्हारी,
सुणियो ध्यान लगाकर जी,
श्री चरणां की सेवा करस्याँ,
रखियो म्हाने चाकर जी ||

तर्ज : चाँदी की दिवार न तोड़ी.…

पूजा विधी ना जाणां कुछ भी,
साँची बात बतावाँ हाँ,
रोली मोली श्री फल ले माँ,
पूजन थाल सजावाँ हाँ,
पुष्पां सै श्रृंगार करा हाँ,
गुण थारा ही गावाँ हाँ,
तन मन शीतल होवे थारे,
चरणां को जल पाकर जी ।।१।।


वेद पुराण बखाणै है माँ,
सतियाँ को सत्‌ भारी है,
पण थारी तो बात निराली,
थारी महिमा नयारी है,
चमकै थारो तेज जगत में,
सारी दुनिया ध्यारी है,
जनम-जनम को पाप कठे है,
थारी शरण में आकर जी ।।२ ||


आया दर पर आश लगा कर,
माँ का दर्शन पावाँगा,
भक्ति भाव से भजन सुणाकर,
दादीजी ने रिझावाँगा,
दयामयी दातार भवानी,
खाली हाथ न जावाँगा,
माता सुख से रह न सकै है,
टाबरिया न भुला कर जी ।।३ ||

Leave a Comment

Your email address will not be published.