भक्तों के घर भी साँवरे आते रहा करो,
दर्शन के नैण बावरे दर्शन दिया करो ।। टेर ।।
तर्ज : मिलती है जिन्दगी में
सूरत सलोनी आपकी आखों में बस गई,
ऐसी झलक मिली हमें दिवाना कर गई,
बढ़ती रहे दीवानगी ऐसी कृपा करो ।। १ ।।
कहते हैं प्रेम से प्रभु छिलके भी खा गये,
चावल सुदामा विप्र के गिरधर को भा गये,
शबरी के जूठे बेर भी खाते रहा करो || २ ||
कुछ ना घटेगा आपका आकर तो देखिये,
पलकें बिछाई राह में मोहन तेरे लिये,
खाली पड़ा है दिल मेरा इसमें रहा करो ।। ३ ।।
भक्तों की शान आप हो, भक्तों का मान हो,
भक्तों की जिन्दगी तुम्हीं, तन मन हो प्राण हो,
तेरे ही नाम की हमें, मस्ती दिया करो ।। ४ ।।
माना तुम्हारे चाहने वाले अनेक हैं,
उन पागलों की भीड़ में “बिन्नू’ भी एक है,
तेरी दया का पात्र हूँ, मुझ पर दया करो || ५ ||
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