आरती कुंजबिहारी की…Aarti Kunj bihari Ki…
आरती कुंजबिहारी की । श्री गिरधर कृष्नमुरारी की ।। गले में बैजंतीमाला, बजावै मुरलि मधुर बाला ।श्रवन में कुण्डल झलकाला,नंदके आनँद नँदलाला ।। श्री गिरिधर….. गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली,लतनमें ठाढ़े बनमाली ,भ्रमन-सी अलक, कस्तूरी-तिलक, चंद्र-ली झलक,ललित छबि स्यामा प्यारी की । श्री गिरधर……. कनकमय मोर-मुकुठ बिलसै, देवता दरसनको तरसै,गगन सों …