आया श्यामधणी का मेला, चल पड़ा भक्तों का रेला,
कोई नाचे नौ नौ ताल, मचावै श्याम के संग धमाल,
है लगता श्याम बड़ा अलबेला
तर्ज :- खई के पान बनारस वाला
छाई फागण की मस्ती, रुत श्याम मिलन की, आई आई आई…
हो दर्श साँवरे का, इस मन में नही अब, समाई समाई…
नाचो कूदो गाओ, झाँझ मजीरे ढोल बजाओ,
मिलकर घूमर घालो, मेरे श्याम को रिझाओ,
आके हो जाओ सारे निहाल, कोई रह ना जाये अकेला…
आया श्यामधणी का मेला…..
ले के श्याम ध्वजाएं, चले रींगस के रस्ते, जय जय जय…
जो भी पैदल है चलते, संग बाबा भी चलते, जय जय…
फागुण की मस्त हवाएँ, बाबा को चँवर डुलाएँ,
मन झूम झूम हर्षाये, हम श्याम तराने गायें,,,
सारे मिल के मचाओ धमाल, बाबा मेरा छैल छबीला…
आया श्यामधणी का मेला…..
सारे लोग लुगाई, बोले बाबा के जयकारे, जय जय जय….
देखी सकलाई, मेरे श्याम के द्वारे, जय जय….
जो इनके दर आ आए, वो बैठा मौज उड़ाए,
ये बिगड़ी बात बनाये, और सबकी आस पुराए,
कर देता है मालामाल, मिटजाए किशन जगत का झमेला…
आया श्यामधणी का मेला…..