गर्मी जोर की है बोल के,पिलाऊँ मावड़ी… Garmi jor ki hai bol k pilau mawdi…. तर्ज:- अइयाँ बैठो जइयाँ भक्तां को जवांई लागे

तेरै आगै पंखों रोज मैं
डुलाऊँ मावड़ी
गर्मी जोर की है बोल के

पिलाऊँ मावड़ी


तर्ज:- अइयाँ बैठो जइयाँ भक्तां को जवांई लागे


धूप कड़ी है और लू चालै
जम कर छाछ दही तू खालै
बोल जीरो या पोदीनों

के मिलाऊं मावड़ी
गर्मी जोर की है बोल के

पिलाऊँ मावड़ी

तरबूजों खरबूजों खालै

तन की गर्मी दूर भगालै
फेरूं ठंडाई सरबत की सेवा

ल्याऊं मावड़ी
गर्मी जोर की है बोल के

पिलाऊँ मावड़ी

रोटी सागै अमरस लायो

जै भावै तो और घलायो
पानी कैरी को भी स्वाद सो

चखाऊँ मावड़ी
गर्मी जोर की है बोल के

पिलाऊँ मावड़ी

मटका को है ठंडो पानी

पिलो घट घट दादी म्हारी
थाने पान मैं बनारसी

खिलाऊँ मावड़ी
गर्मी जोर की है बोल के

पिलाऊँ मावड़ी

छोटी सी अर्जी या सचिन की

करदे दादी मेरे मन की
सारी जिंदगी या चाकरी

निभाऊं मावड़ी
गर्मी जोर की है बोल के

पिलाऊँ मावड़ी

Bhajan Request – Sarmila Bankia
Kahalgaon

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