साँवरे बिन तुम्हारे गुजारा नहीं…Saawre Bin Tumhare Gujara Nahi…

साँवरे बिन तुम्हारे गुजारा नहीं,
तेरे सिवा कोई हमारा नहीं ।। टेर ।।

(तर्ज : साथिया नहीं जाना)

जबसे देखा साँवरे, जलवा तुम्हारा,
दिल तुझपे ही वारा, तेरे हो लिये,
तुमने भी साँवरे, मेरी राहों से,

चुन चुन करके काँठे, फूल बो दिये,
तेरी ये जुदाई गँवारा नहीं ।।1 ।।

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जब जब में साँवरे, दर तेरे आया,
बिन माँगे सब पाया, झोली भर गयी,
इतना मिला मुझे, जितने के लायक,

मैं नहीं था, ए मालिक झोली भर गयी,
कैसे मैं कहूँ तू हमारा नहीं ।। 2 ।।

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मिली मुझको साँवरे, सेवा तुम्हारी ये,
अरज है हमारी, ठुकराना ना,
कहता है ‘रोमी’, अपनी नजर से,

एक पल के लिये भी, गिराना ना,
एक पल भी तुझको बिसारा नही ।। 3 ।।

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