चूनड़ तो ओढ़ म्हारी दादी…Chunad To Odh mhari Dadi…


चूनड़ तो ओढ़ म्हारी दादी

पीढ़े पर बैठया जी,
तो अइयाँ की चून्दड़ी माँ

क़ुण तो उढ़ाई जी,
म्हारे मन भायी जी ।। टेर ।।

(तर्ज : पीलो)


लाल सुरंगी मेहन्दी

हाथां में राची जी,
तो अइयाँ की मेहन्दी माँ

कुण तो रचाई जी,
म्हारे मन भायी जी || १ ||

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हीरो तो चमके दादी
नथली में थारे जी,
तो अइयाँ की नथली माँ

कुण तो पिराई जी,
म्हारे मन भायी जी || २ |
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बनड़ी सी बणकर दादी
आसण-बिराजे जी,
तो अइयाँ की सोवणी माँ

कुण तो सजाई जी,
म्हारे मन भायी जी || ३ ||

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म्हे तो बड़भागी हर्ष
दादी पधार॒या जी,
तो अइयाँ की मन में थारे

पहल्याँ क्‍्युं ना आई जी,
म्हारे मन भायी जी || ४ ||

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