तीरे-नज़र से मारा, खंज़र चला दिया ।।
________________
जलवा दिखाया दूर से,क्ठ भी कसर नहीं,
आहों का मेरी श्याम पे कोई असर नहीं,
तुमको मिला क्या सांवरे,ये दिल जला दिया ।।
तीरे-नज़र से मारा…..
________________
ना मिलना भी तुम्हारा,छोटी सजा नहीं,
कह देता दिल का राज भी,पर कुछ मजा नहीं,
उल्फ़त का जाम कैसा तूने पिला दिया ।।
तीरे-नज़र से मारा…..
________________
यादों के सहारे ही,है अब ये ज़िन्दगी,
नासूर बन के रह गई,मीठी सी दिल्लगी,
मैंने भी दर पे तेरे,कम्बल बिछा दिया ।।
तीरे-नज़र से मारा…..
________________
मिल करके दी जुदाई,’शिव’ हाल क्या हुआ,
देता है श्याम बहादुर,फिर भी तुम्हे दुआ,
मरते हुए को श्याम क्यों,तूने जिला दिया ।।
तीरे-नज़र से मारा…..