कुण सी घडी मं थांसै आँख लड़ाई…Kun Si Ghari M Thase Aankh Ladai…

कुण सी घडी मं थांसै आँख लड़ाई,
आँख लड़ाई, थारी याद भोत आई ।।
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दिल को खजानो मेरो, खोल कै दिखायो मैं,
जाण कै जुलम करयो, रोग यो लगायो मैं,
हिवड़ो मिलाकै थांसै, बड़ी चोट खाई ।।
कुण सी घडी मं थांसै……
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बांसरी की तान तेरी, लेय गई लूट कै,
कई टूक होय गया, काव््जै ईद ट कै,
बांकी लटक तेरी, मेरे मन भाई ।।
कुण सी घडी मं थांसै……
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मोल दरद लियो, ग्वाल्वयै सैं फँस कै,
मन्नै कांई बेरो मन्नै, मार गयो हँस कै,
तूं ही है कन्हैया मेरे, दिल की दवाई ।।
कुण सी घडी मं थांसै……
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प्रीत खिड़कियाँ सैं, कदै झाँक ज्याये तूं,
भूल नहीं जाऊँ तेरी, याद दुवाये तूं,
मतना तूं जाणै मेरी, पीड़ पराई ।।
कुण सी घडी मं थांसै……
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श्याम बहादुर ‘शिव’, दरबान दर को,
साथी है तूं ही मेरे, लंबे सफ़र को,
सदियां सूं दाता थारी, हाजरी बजाई ।।
कुण सी घडी मं थांसै…..

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