कैया सरसी रे साँवरा,
कैया सरसी रे
भोला टाबरिया न भूल्यां
कैंया सरसी रे… |
घणी जगह से पता करी
सब याही बतलावे-२
खाटू वालो श्याम धणी
तेरी नैया पार लगावे-२
हो लीले असवार तने तो
आनो पड़सी रे-२ ।॥१।।
डगमग-डगमग डोले नैया
सुझे नहीं किनारो-२
श्याम धणी तेरे भगतां नै,
तेरो एक सहारो-२
आज शरण म्हाने भी दाता,
देनी पड़सी रे-२ ।।२ ||
जद-२ म्हा पर आफत आवे,
नाम तेरो ही भावे-२
और कोई दुःख बाँटे नाहीं,
तू ना देर लगावे-२
या आफत म्हारी भी भाया
टाल्यां सरसी रे-२ ।।३ ||