आज गणपति आये, हमारे घर आंगना,
नाचो गाओ खुशी मनावो, हुआ है ये घर पावना ।
तर्ज: आज हारि आये विदुर घर पावना…..
महादेव के पुत्र लाडले, पार्वती के प्यारे जी,
करूँ वन्दना लम्बोदर की, हरपल करूँ मैं ध्यावना |।॥१ |।
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बुद्धि के भण्डार विनायक, देवन में अजुआ हैं जी,
सबसे पहल्याँ पूजा थारी, लागै बड़ी सुहावना ।।२ |।
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सुण्ड-सुण्डाला, दुन्द-दुन्दाला, एकदन्त है साजे जी,
रिद्धि-सिद्धि थारै चँवर ढुलावे, मोदक है मनभावना ।|३ ||
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जो भी साँचे मन से ध्यावे, उसका कारज सारे जी,
‘रेन्रुः की बस यही प्रार्थना, हृदय में बस जाओ ना ।।४।।