तुम्हारी शरण मिल गई साँवरे,
तुम्हारी कसम जिन्दगी मिल गई,
हमें देखने वाला कोई न था,
तुम जो मिले, बन्दगी मिल गई।।
(तर्ज : तुम्हारी नजर क्यूँ खफा हो गई)
बचाते न तुम डूब जाते कन्हैया,
कैसे लगाते किनारे पे नैया,
गमें जिन्दगी से परेशान थे,
रोते लबों को हँसी मिल गई ।।
_________________
समझ के अकेला सताती ये दुनिया,
सितम पे सितम हम पे, ढाती ये दुनिया,
गनीमत है ये तुम मेरे साथ हो,
मुझे आपकी दोस्ती मिल गई ।॥ 2 ।।
_________________
मुझे श्याम तुमपे भरोसा बहुत है,
तुमने हमें पाला पोसा बहुत है,
आँखो का मेरी उजाला हो तुम,
अंधकार को रोशनी मिल गई।। 3 ।।
_________________
मुझे साँवरे इतना काबिल बना दो,
प्रेम की ज्योति हृदय में जगा दो,
ऊँगली उठाके कोई ना कहे,
‘संजू’ के दिल में कमी मिल गई।। 4 ।।
Bhajan Request – Hema Sharma
Dibrugarh