तू लीले चढ़कर आज्या,
तेरी बाठ उडीकाँ घड़ी-घड़ी ।। टेर ।।
(तर्ज : मेरी छतरी के नीचे)
भक्ता दरबार सजायो है,
थान न्यूतो श्याम भिजायो है,
अन्तर केसर की खुशबू,
फूलाँ की लटक लड़ी-लड़ी ||
_______________
थार केशर तिलक लगावागाँ,
चाँदी को छत्तर चढ़ावागाँ,
केशरियो बागो ल्याया,
थारी लाम्बी लाम्बी मोर छड़ी ||
_______________
थारो छप्पन भोग बनायो है,
सब भगताँ न बुलवायो है,
थाण खुश करन क खातिर,
थारां भक्ताँ नाच घड़ी-घड़ी ||
_______________
म्हारी अर्जी सुनकर आ जाओ,
भगताँ रा मान बढ़ा जाओ,
“बनवारी’” दर्शन खातिर,
अंसुवन की लागी झड़ी-झड़ी ||