तेरी रहमत बहुत बाबा
लगे तेरी कमी क्यूँ है ।।
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समंदर पास है मेरे,
लगे फिर प्यास क्यूँ इतनी,
मुझे तो दस है,
क्यूँ दूरी दास से इतनी,
जो प्रीत है दाता,
लगे गहरी घनी क्यूँ है ।।
तेरी रहमत बहुत बाबा…..
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बिना रूह के क्या काया का,
कभी कोई काम होता है,
बिना राधा के राधेश्याम,
क्या पूरा नाम होता है, तेरे बिन साँस भी बाबा,
लगे जैसे थमी क्यूँ है ।।
तेरी रहमत बहुत बाबा…..
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ख़ुशी से जी रहा हूँ मैं,
चमन भी खिल रहा मेरा,
तेरी खुश्बू से ओ बाबा, महक उठा ये घर मेरा,
तेरे बिन पूरी फ़िज़ा बाबा,
लगे दुःख में रमी क्यूँ है ।।
तेरी रहमत बहुत बाबा…..
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तूं ही दुनिया का मालिक है,
बनाता है मिटाता है,
तेरे ‘निर्मल’ पे ओ बाबा,
तरस तुझको ना आता है,
दरश बिन आँख है कटी,
की आँखों में नमी क्यूँ है ।।
तेरी रहमत बहुत बाबा…..