दोहा
पूत सपूत जन्यो यशोदा,
इतनी सुनके वसुधा सब दौड़ी,
देवन के आनंद भयो,
पुनि धावत गावत मंगल गौरी,
नन्द कछु इतनो जो दियो,
घनश्याम कुबेर हु की मति बोरी,
देखत मोहि लुटाय दियो,
ना बची बछिया छछिया ना पिछोरी।
भजन
तेरे खुले गए यशोदा मैया भाग रे,
ऐसो सुघड़ सुत जायो,
तेरे खुले गए यशोदा मैया भाग रे,
ऐसो सुघड़ सुत जायो।
भादो मास कृष्णपक्ष अष्टमी,
भादो मास कृष्णपक्ष अष्टमी,
छाई नन्द भवन उजियार री,
ऐसो सुघड़ सुत जायो।
बाबा लुटावे अन्न धन सोना,
बाबा लुटावे अन्न धन सोना,
और गोधन रतन अम्बार री,
ऐसो सुघड़ सुत जायो।
विविध भाँती के गाजे बाजै,
विविध भाँती के गाजे बाजे,
गूंजे पायल की झंकार री,
ऐसो सुघड़ सुत जायो।
तेरे खुले गए यशोदा मैया भाग रे,
ऐसो सुघड़ सुत जायो,
तेरे खुले गए यशोदा मैया भाग रे,
ऐसो सुघड़ सुत जायो।