श्याम तेरी तस्वीर
सिरहाने रख कर सोते है,
यही सोच कर अपने
दोनों नैण भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे,
कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे ।।
(तर्ज : लाल दुपट्टा उड़ गया रे)
नन्हें नन्हें हाथों से
आकर मुझे हिलाएगा,
फिर भी नींद न टूटे तो,
मुरली मधुर बजाएगा,
जाने कब आ जाये
हम रूक-रूक कर रोते हैं ।। 1 ।।
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अपनापन हो अंखियों में
होंठों पे मुस्कान हो,
ऐसा मिलना जैसे की
जन्मों की पहचान हो,
इसके खातिर अंखिया
मसल-मसल कर रोते है ।। 2 ।।
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कभी कभी घबराये क्या,
हम इसके हकदार है,
जितना मुझको प्यार है,
क्या तुमको भी प्यार है,
यही सोच के करवट
बदल-बदल कर रोते है ।। 3 ।।
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एक दिन ऐसी नींद खुले
जब तेरा दीदार हो,
“बनवारी” फिर हो जाये,
ये अँखियाँ बेकार हो,
बस इस दिन के खातिर
हम तो दिन भर रोते है ।। 4 ।।