श्याम बाबा श्याम बाबा दया करो,
तेरे दास पे, तेरे दास पे,
है चारो तरफ अँधेरा, सुझे ना सवेरा,
ठोर ना कोई बाबा तेरे बिना मेरा ।।
( तर्ज: परदेसी परदेसी जाना नहीं )
रोज मुसीबत बाद मुसीबत आती है,
मेरी आत्मा पल पल धीर गँवाती है,
खुद को खुद से ही बाबा मैं खोता हूँ,
महफिल में हँसता हूँ, अकेला रोता हूँ,
तू मेरा मैं तेरा, सारे जग को दिखा दे ।।
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आस तेरी हम दिल में लेकर चलते हैं,
कैद किये फिर भी अरमान मचलते हैं,
कदम हर कदम जब भी आगे बढ़ते हैं,
ओ… बाबा लखदातारी, दिखा दातारी,
शीश के दानी, तू मिटा परेशानी ।।
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आँख सूखना लब मुस्काना भूल गए,
वक्त के आगे ऐसे हम मजबूर हुए,
स्वार्थ बिना आँसू कोई पोछे, ऐसा यार नहीं,
क्या अपने पराए, सारे बिसराए,
“निर्मल’ तेरे बिन, तू बना कहाँ जाए ।।