रोती हुई आँखों को मेरे श्याम हसाते है – Roti Hui Aankhiyo Ko Mere Shyam Hansaate Hain

रोती हुई आँखों को मेरे श्याम हसाते है,
जब कोई नहीं आता मेरे श्याम ही आते है,
रोती हुई आँखों को मेरे श्याम हसाते है,

तर्ज – एक प्यार का नगमा है

जिन नजरो को बाबा इक आंख न भाता था,
करते थे सभी पर्दा जब मैं दिख जाता था,
अब वो ही गले लग कर अपना पन दिखाते है,
जब कोई नहीं आता मेरे श्याम ही आते है,
रोती हुई आँखों को मेरे श्याम हसाते है,

सब ने हस्ता देखा मेरे गाव नहीं देखे,
उचाई दिखी सब को मेरे पाँव नहीं देखे,
उस मंजिल को पाने में शाले पड़ जाते है,
जब कोई नहीं आता मेरे श्याम ही आते है,
रोती हुई आँखों को मेरे श्याम हसाते है,

अपनों के सभी रिश्ते फीके पड़ जाते है,
जब साथ से पैसो के पते झड़ जाते है,
मतलब से सभी माधव यहाँ रिश्ता निभाते है,
जब कोई नहीं आता मेरे श्याम ही आते है,
रोती हुई आँखों को मेरे श्याम हसाते है,

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