नज़रें मिला के मुझसे ,ऐ श्याम मुस्कुरा दो
गलती अगर हुई तो ,दिल से उसे भुला दो ।।
तर्ज – मैं कहीं कवि ना बन जाऊं
किस बात पे खफा हो,नाराज लग रहे हो
लगते हो जैसे हरदम ना आज लग रहे हो
खोये खोये से मेरे सरताज लग रहे हो
तुमको रिझाऊं कैसे इतना मुझे बता दो
नज़रें मिला के मुझसे……….
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पुतला हूं गलतियों का , इंसान हूं कन्हैया
तुमसे छुपा नहीं हूं ,परेशान हूं कन्हैया
करदो क्षमा दयालू ,नादान हूं कन्हैया
दीनो के नाथ मेरी , परेशानियां मिटा दो
नज़रें मिला के मुझसे…………..
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बालक मैं तुम पिता हो, रिशता ना छुट सकता
बातों में यु ही दिल का , बंधन ना टुट सकता
बिन्नू कहे कन्हैया ,मुझसै ना रुठ सकता
गालों पे प्यार से दो, थपकी मेरे लगा दो
नज़रें मिला के मुझसे……….
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