मोरछड़ी हाथां में थारे
मुखड़ो चमके
ओ खाटूधाम से आवोनी
बाबा लीले चढ़के ।।
तर्ज:- पगल्यारी पायलड़ी बाजे हाथां रो चुड़लो…
मुख मण्डल की शोभा प्यारी,
बाल है घुंघरवाला
हाथ जोड़कर विनती करूँ में,
सुणल्यो काला
आसी दिल ने भी आराम,
थासु बात करके
ओ खाटूधाम से आवोनी …।। 1 ।।
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हारया का थे साथ निभावो,
म॒त ना देर लगावो
म्हे भी द्वार खड़ा हां बाबा,
क्यूँ नहीं गले लगावो
अंसुवन की बरसे धार,
श्याम याद करके
ओ खाटूधाम से आवोनी …।। 2 ।।
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“नारायण” पागल की अर्जी,
आगे मर्जी थारी
कृपा को थे हाथ बढावो,
खाटू श्याम न री
थासुं हो सी मुलाकात,
म्हारो जीयो धड़के
ओ खाटूधाम से आवोनी …।। 3 ।।