मैं ना भूलूंगी, मैं ना भूलूंगी,
श्याम तुम्हारे एहसानों को, मैं ना भूलूंगी…
मैं दिन वो याद करूं, तो मन ही मन मै डरूं,
गुजारा कैसे चले,ये सोचूं आहे भरुं,
अपने भजनों की सेवा में हमें लगाया है,
जीने की राह दिखाना मैं ना भूलूंगी…
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वचन कड़वे भारी, मैं सुन सुनकर हारी,
श्याम तूने मुरझाई, खिला दी अंगना फुलवारी,
इस बांझन की गोद में, तूने लाल दिया बाबा
ममता का यह मोल कभी भी, मैं ना भूलूंगी..
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मेरे अपने रूठे, सहारे सब छूटे,
खून के रिश्ते भी,ना जाने कब टूटे,
बनके सहारा खाटू वाले, पल में तू तो आया,
श्याम तुम्हारी दातारी को, मैं ना भूलूंगी…
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रात बारस की थी, भजन तेरे मैं गाई थी
सुबह जो आई थी, वो आफत लेकर आई थी,
काल के मुंह से हम दोनों, को हर्ष निकाला है,
जीवन हम को दान में देना, मैं ना भूलूंगी…
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