लाखां की चुनड़ी हो या
चाहे करोड़ की
थारे ओढ़े बिन मईया,
के इको मोल जी ।।
तर्ज – तुम झोली भर लो भगतो
चुनड़ी तो चुनड़ी है चाहे
हल्की हो या भारी – २
झूँठां मोल लगाने की माँ,
आदत पड़गी म्हारी – २
चुनड़ी माँ लावे मैया
कोई तौल तौल जी
थारे ओढ़े बिन…
अईया देखा तो म्हाने
हर चुनड़ी फीकी लागे – २
थारे ओढ़या पाछा ही माँ
चोखी-चोखी लागे – २
थे ओढ़ो जी चुनड़ी ने
वाही अनमोल जी
थारे ओढ़े बिन…
कोई सोना चांदी देखे
कोई हीरा मोती – २
म्हारी मईया तो केवल
प्रेम भाव की भूखी
“सोनू” दरकार ही कोनी
माँ ने कुछ और की
थारे ओढ़े बिन...