किसी की गुलामी की जरूरत ना होगी….Kisi Ki Gulami Ki Zarurat Na Hogi

किसी की गुलामी की जरूरत ना होगी
नौकरी कन्हैया की करके तो देखो
रहोगे सदा इनकी निगाहो में प्यारे
चाकरी कन्हैया की ………..

तर्ज – तुम्हे दिल लगी भूल

फरियाद सुनते प्यारे साँवरे सभी की
मिलती है मंजिल उनको जो होती करीबी
छलकाए आंसू नैना हर पल खुशी से
मिलता सहारा इनको हर घड़ी इन्हीं से
कभी जिंदगी में मुसीबत ना होगी
बंदगी कन्हैया की……….

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दातार इनके जैसा न जग में हुआ है
बदला है जीवन श्याम जिनको छुआ है
चलती चली है इनके जीवन की नैया
बैठा मजे से नैया चलाता कन्हैया
सफर बेसहारा तबीयत ना होगी
हुजूरी कन्हैया की………

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उस पल उतर जाता है जन्नत जमी पर
रहमत की वर्षा बाबा जो करते सभी पर
हारे हुए को मिलता इसका सहारा
फिर तो मजे से सबका चलता गुजारा
किसी और दौलत की चाहत ना होगी
अमीरी कन्हैया की चल के तो देखो

Bhajan By – Ravindra Ji Bharadwaj
Kahalgaon
BhajanVarsha.IN

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