खाली झोली लेकर आयो, झोली भरदे,
तेरो सांचो है दरबार,
मेरो न्याय करदे ।।
तर्ज – धमाल
दुर्बल काया पास न माया,थारै दर पर आयो,
मूँजी क्यूँ बण बैठयो दाता,
लखदातार कुहायो,
थानै नींदड़ली क्यूँ आवै, नैया पार करदे ।।
पार करदे ओ बाबा पार करदे,
थारो सांचो है दरबार……
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थारो सो मालिक पाकर के,
फिर भी क्यूँ दुःख पाऊँ,
थानै रा क _ ही बतादे,
कुण नै हाल सुणाऊँ, थरै चरणां म॑ पड्यो हूँ,
सिर पर हाथ धर दे ।।
हाथ धरदे ओ बाबा हाथ धरदे,
थारो सांचो है दरबार……
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के तेरे कीच जम्यो कानां मं,
देवै नहीं सुणाई,
बिलख-बिलख कर हार गयो मैं,
किरतां भी ढ़लल आई,
कद सैं फ़ाइल म॑ पड़ी है, अरजी पास करदे ।।
पास करदे ओ बाबा पास करदे,
थारो सांचो है दरबार……
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जगतनियन्ता पालनकर्ता,
खाट्ट श्यामबिहारी,
कर जोड्यां थारो दास खड्यो है,
सुध लेल्यो गिरधारी, थारो टाबर हूँ मैं महर,
पार कर जो बाबा पार करदे,
थारो सांचो है दरबार……