जाके सिर पर हाथ, जाके सिर पर हाथ
म्हारै श्याम धणी को होवे है
बाको बाल ना बाँकों होवे है, जाके सिर पर हाथ ।। टेर ।।
(तर्ज:- किर्तन की है रात…)
कलयुग में बाबा का, घर घर बजे डंका, बड़े बलकारी हैं,
जो भाव स ध्यावे, पल भर म है आवै, करी ना देरी है,
जांका जैसा भाव-२ बाबो वैसो ही फल देवे है-२
जाके सिर… ।।१।।
एक बार जावोगा, हर साल जावोगा, बाबा क मेले में
आनंद ही आनंद, अमृत की हो वर्षा, खाटू क गेले में
लेकर आंको नाम-२ , जो भी पैदल खाटू जावे है
जाके सिर… ।।२।।
दुनिया की मस्ती म, मत भूल बाबा न, यो हीतेरे काम को,
जैंया मनावोगा, यो मान जावेगो, भूखो है थारे भाव को
“शुभम रूपम” परिवार-२ ऐंको टान क खुटी सोवे है
जाके सिर…।।३।।