जय जय पितरजी महाराज,
थारी बोलां जय-जयकार
मन स ध्यावां, मनावां,
म्हारो कर द्यो बेड़ा पार |
तर्ज : लेके पहला-पहला प्यार.
नित उठ थारो देवा,ध्यान लगावां
लाड़ लड़ावां थाने हाल सुनावां
सुणज्यो म्हारी थे पुकार,
टाबर बैठा भुजा पसार |
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बेगा सम्भालो आओ, देर ना लगावो
बांट निहारां थारी दरश दिखाओ
म्हानै थारो ही आधार,
थारै बिण कुण खेवनहार |
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देव हो दयालु थे तो बड़ा दिलवाला
आश लगाकर बैठ्या बनो रखवाला
म्हणे थारी है दरकार,
सौपी थाने ही पतवार |
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