जय-जय पीतर जी महाराज,
मैं शरण पड़यो हूँ थारी,
शरण पड़यो हूँ थारी,
थे रखियो लाज हमारी ।
आप ही रक्षक,आप ही दाता,
आप ही खेवन हारे,
मैं मूरख हूँ कुछ ना जानूं
आप ही हो रखवालें,
आप खड़े है हर दम हर घड़ी
करने को रखवारी,
हम सब जन है शरण आपकी,
है ये अरज गुजारी,
देश और परदेश सब जगह
आप ही करो सहाई,
काम पड़े पर नाम आपको
लगे बहुत सुखदाई,
मैं भी आया शरण आपकी
अपने सहित परिवार,
रक्षा करो आप ही सबकी
रटूं मैं बारम्बार