जगदम्बे थे तो आकर ओढ़ो ए,
सेवक ल्याया मां थारी चुनड़ी || टेर ||
तर्ज – चुनड़ी
सुहागण मिल चाव स॒ बाँधी ए,
श्रद्धा कै रंग मं रंगाई चुनड़ी ||१||
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सुरतां को झीणो पोत बनायो ए,
मनड़ा की पेटी में या आई चुनड़ी ||२||
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आशा का तारा खूब लगाया ए,
मोती की लुमां लगाई चुनड़ी||३||
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माँ साँचा तारा साँचो ही गोटो ए,
म्हानै प्यारी लागै माँ तारा री चुनड़ी ||४||
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चुनड़ी का तारा चमचम चमके ए,
म्हारो मनड़ो हर लीन्यो तारा री चुनड़ी ||५||
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‘बनवारी” गावे चुनड़ उढ़ावे ए,
ये आकर ओढ़ो माँ तारा री चुनड़ी ||६||
Bhajan Request – Surbhi Bhardwaj
Bhagalpur