होली रे होली, देखो खाटू की होव्ठी,
खाटुवाब्ठो खैले अपणा टाबरां सं होव्ठी ।।
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पौ-माह कै महीनै सं ही, हो रही तैयारी है,
खाट नगरिया चालां, मन म॑ चाव भारी है,
बूढ़ा-जवान सारा कर रहा त्यारी ।।
होली रे होली देखो……
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चंग-मजीरा बाजै, बांसुरी भी बाजै है,
मोर-पपीहा बोलै, कच्छी घोड़ी नाचै है,
गींदड़ मं खाटुवाव्णे घूमर घाली ।।
होली रे होली देखो……
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कोई कै गुलाल श्याम, हाथ सं लगावै है,
सगव्ण भक्त श्यामजी नै, रंग सैं नुहावै है,
श्याम कै रंग म॑ सारो रंगग्यो ‘बिहारी’ ।।
होली रे होली देखो….