हो घोड़े असवार श्याम थे आजा ओ जी आ जाओं
मेरी लाज गईं बिन काज हरी थे आजा ओ जी ॥टेर॥
दीन दयाल दया लहरी, दीन की वेर क्यो देर की।
नाव भंवर में आन पड़ी, आपने देर में देर करी ॥हो आपने
ये काली-काली रात रही ना मेरे बस की बात
श्याम थे आ जाओ जी…
संग न कोई साथी रे, घोर अन्धेरी राती रे,
‘पग-पग ठोकर खाती रे, ना कोई दीया बाती रे….
मैं भटक रहयो दिन रात, नाथ लो पकड़ी म्हारो हाथ
श्याम थे आ जाओं जी…
अन्तरयामी नाम तेरो, तुही बता अब कौन मेरी
शरणगत पर मेहर करो, आजाओ क्यों देर करो…
अब महर करो महराज बचाओं अपने जन की लाज ।
श्याम…
सुत्या हो जो जागोजी, जागो तो प्रभु आओजी
आवो लाज बचाओजी, ज्यादा क्यों तरसा ओजी
थे “सोहन लाल ” की वार करी क्यों इतनी प्रभु जी वार
श्याम थे आ जाओं जी……