हे रघुनन्दन जनमन रंजन अलबेली सरकार…Hey Raghunandan Janman Ranjan Albeli Sarkar…

हे रघुनन्दन जनमन रंजन अलबेली सरकार
हिण्डोले झूलो नाथ॥

घटा चढ़ी चहुँ ओर जोर से, चारों दिशा में छाई है।
झिरमिर-झिरमिर मेघा बरसे, पवन चले पुरवाई है।
अमवा की डाली कोयल बोले, पपीहा करें पुकार
हिण्डोले झूलो नाथ॥

मन-मन्दिर के बीच हिण्डोला, बना अति निराला है,
भांति-भांति के पुष्पों से, सब भक्तों ने सज डाला है,
ता पर प्रिय प्रीतम जी झूले, शोभा अति अपार
हिण्डोले झूलो नाथ॥

अन्द्रकला आदि सब सखियां,मिलकर आयी सारी हैं।
प्रेम भाव से झोटा देवें, मिलकर बारी-बारी हैं।
झांझ-मृदंग, मंजीरा बाजे, गावे राग मल्हार।
हिण्डोले झूलो नाथ॥

आ जाओं प्रभु आ जाओं, आ जावों प्रभु आ जाओं।
मन-मन्दिर हिण्डोले बैठ कर, सुन्दर झोटे खा जाओं।
“दास नारायण ” दीन हीन की, सुनलो नाथ पुकार।
हिण्डोले झूलो नाथ॥

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