हे स्वर की देवी माँ वाणी में मधुरता दो
मैं गीत सुनाती हूँ संगीत की शिक्षा दो |
तर्ज : फूल तुम्हे भेजा है खत में…
सरगम का ज्ञान नहीं ना लय का ठिकाना है
तुम्हें आज सभा में माँ हमें दरस दिखाना है
संगीत समन्दर से सुर-ताल हमें दे दो ।
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शक्ति ना भक्ति है सेवा का ज्ञान नहीं
तुम्हें आज सुनाने को कोई सुन्दर गान नहीं
गीतों के खजानों से एक गीत हमें दे दो ।
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