गुरूदेव श्री गुरुदेव के चरणों में शत् शत् प्रणाम है,
सभी कहते हैं, गोविन्द से भी गुरु का ऊँचा स्थान है ।।
तर्ज : फूल तुम्हें भेजा है खत में
गुणगान करें हम किस विध इनका,
वाणी में इतने शब्द नहीं,
सूरज को क्या रोशन करिए,
इतनी तो क्षमता ही नहीं,
गुरु सम देव नहीं कोई दूजा,
हमें बड़ा ही मान है ।।१।।
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भटक रहा था अंधियारे में,
बिन उद्देश्य और बिन आधार,
आप मिले तब थामी गुरुवर,
हम सबकी जीवन पतवार,
श्याम मिलन की राह बताई,
दूर किया अज्ञान है ||२||
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धन्य हुए हम आपको पाकर,
सफल हुआ ये जीवन है,
एक प्रार्थना और है गुरुवर,
दया की दृष्टि हरदम रहे,
पंचरणों में तेरे ऐ श्री गुरुवर,
कर दिया ‘रेनु’ ने समर्पण है ||३||
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