घणो ही मिजाजी रे,
नखरालो प्यारो सांवरियो,,2
मैं जद सु आई रे खाटूधाम,
मनड़ो म्हारो उलझ गयो,,2
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उड़ ,उड़ जावे जी,
ओ मनड़ो नही माने हैं कहयो
हर ग्यारस ने आवै खाटूधाम,
मनड़ो म्हारो……..
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मैं नही जाणु जी ओ,
बाबा म्हारे काई रे हुयो
मने मिल रहयो घणो ही आराम,
मनड़ो म्हारो……
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हर सुख दुनियां रो सांवरियो,
म्हाने देय रहयो
थारा कया म्हे चुकावा अहसान,
मनड़ो म्हारो…..
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मनडा री बाता जी,
ओ अम्रत थाने केय रहयो,
थारी “केमिता” करे हैं गुणगान,
मनड़ो म्हारो…..
घणो ही मिजाजी…..
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