दादी थोड़ी दूर पे है झोपड़ी हमारी
छोटा सा परिवार सेवा करेंगे तुम्हारी,
गुजरो उधर से तो जरु चले आना
खाना खाकेजाना दादी, खाना खा के जाना
आपको बुलाने में संकोच हो रहा है,
रोक ना सकेंगे तुम्हें दिल रो रहा है,
लायक नहीं आपके गरीब का ठिकाना ।।
खाना खाके ….।।१।।
आपसे हमारी कोई जान ना पहचान है,
आपसे हमारी कोई दुआ ना सलाम है,
आपको बुला के हमें प्रेम है बढ़ाना ।।
खाना खाके…।।2।।
सुना है तू बाजरे की खिर पुडा को तरसे
बनवारी जाये जहाँ प्रेम बरसे
हो सके तो मैया हमें भी आजमाना ॥
खाना खाके …।।3।।