चुनड़ तो ओढ़ म्हारी दादी, सिंहासन बैठी जी,
कोई देवां भोत सहराई दादी म्हारी जी || टेर ।।
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हीरा पन्ना (मोती मूंगा) सूं जड्यो थारो सिंहासन जी,
कोई ऊपर छत्तर हजार, दादी म्हारी जी || १ ।।
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अंग कसूमल थारे कब्जो तो सोढ्ढे जी,
कोई गले में हीरां को हार, दादी म्हारी जी || २ ।।
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हाथां में दादी थारे मेंहदी रची है जी,
कोई बाजूबंद की महिमा अपार, दादी म्हारी जी ।। ३ ।।
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काना में कुण्डल थारे, हद क विराजे जी,
कोई हाथां में लाल चूड़ो सोह्ै, दादी म्हारी जी ।। ४ ||
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चुनड़ का अल्ला पल्ला भोत लुभावै जी,
कोई मांय तारा को सोह्लै जाल, दादी म्हारी जी |।५ ||
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हाथां म॑ चूड़ो थारे, बायां में बाजूबन्द जी ,
कोई माथे पे लाल टीको सोहै, दादी म्हारी जी ।६ ।।
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मन में ले आशा दादी कीर्तन में आया जी,
कोई भकक्तां री आश पुरावो, दादी म्हारी जी || ७ ।।
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भक्तांरी अर्जी दी, मर्जी है थारी जी,
कोई थारे बिना कुण सुणसी, दादी म्हारी जी || ८ ||