बोलो जी दयालु
दिलदार के करां।
बोलो बोलो थारी
मनुहार के करां॥
_______________
मन को नगीनों
थाने सूँप दियो।
जाण के दरद
प्रभु मोल लियो।
जीत और हार को
विचार के करूँ ॥
बोलो-बोलो…
_______________
मेरे कनै थे
काँई छोड़यो है।
छलिए सूँ रिश्तो
जोड़यो है।
नेहड़ो लगा कै
तरकार के करूँ ॥
बोलो-बोलो…
_______________
‘फाँस लियो मीठी मीठी
बातो में।
बिक गयो जीव
थारे हाथों में ।
थारै से अकड़
करतार के करूँ॥
बोलो-बोलो…
_______________
जाण के गरीब
क्यूँ इ रहम करो।
विनती पर प्रभु
मेरी ध्यान धरो।
जीवन की पतवार के
रखवार के करूँ॥
बोलो-बोलो…
_______________
श्याम बहादुर
‘शिव’ रसियो
हँस बतलाओ
मेरे मन बसियो
लागी मेरे नेह की
कटार के करूँ॥
बोलो-बोलो…