आणो पडसी है मनमोहन, थाने भगत बुलावे है।
दीनानाथ अनाथ के बन्धु, थाने सबही बतावै है॥
जब जब भीड़ पडी भक््तन पर, तब तब आप पधार्या जी,
निर्बल को बल निर्धन को धन, सबका काम सुधार्या जी,
हार॒या हुआ का साथी नाथ, फिर कैंया देर लगावै है,
आणो पडसी…………
थारा भक्त कहे म्हारा प्रभुजी, थारो ही एक सहारो है,
थे नहीं आया तो प्रभु होसी, कांई हाल हमारो है,
पल-पल बीते बरस बराबर, इतनो कारईई तरसावै है,
आणो पडसी…………
इतनी देर करो कांई मोहन, दिल म्हारो घबरावै है,
बाट उडीकत अखियां म्हारी, रो-रो नीर बहावै है,
भक्त वत्सल भगवान कहाकर, भक्त को जीव दुखावै है।
आणो पडसी…………
म्हारी नैया बीच भंवर में, केवटियो जाणै कठै गयो,
थारे भरोसे छोड दी नैया, तू भी जाणै कठै गयो,
बैगा आओ म्हारा गिरवरधारी, नैया डूबी जावै है
आणो पडसी…………