दादी थारी ल्यायो चुनंडीं
दुनिया दारी छोड़ कै ।
मान बढ़ा दे म्हारो दादी
चुनंडीं म्हारी ओढ़ कै ।
तर्ज- लेने आजा रिगंस के उस मोड़ पे
जयपुर से म्हे पोत मंगाया
गोटा किनारी लगवाया ।
या अनमोल हे चुनंडीं थारी
प्रेम भाव से म्है ल्याया ।
ओढ़ ले दादी ,म्हारी विनती
इन हाथो को जोड़ कै।।
मान बढ़ा दे म्हारो दादी
चुनंडीं म्हारी ओढ़ कै ।।
तु ही म्हारी ,कुल की देवी
तु म्हारी सरताज है ।
आज अगर ना ओंढ़ी चुनडीं
समझूगां नाराज है।
कै मिल जासी दादी थांने
म्हारो यो दिल तोड़ कै।।
मान बढ़ा दे म्हारो दादी
चुनंडीं म्हारी ओढ़ कै ।।
म्हारी चुनड़ी ओढ़ ले दादी
म्हे थारां गुणगान करां ।
सेवा पूजा करां आपकी
बस चरणां मे ध्यान धरा ।
जद जद थारो किर्तन होसी
आवागां म्हे दौड़ कै ।।
मान बढ़ा दे म्हारो दादी
चुनंडीं म्हारी ओढ़ कै ।।
दादी थारी किरपा कर दै
यो जीवन तर जावेगौं ।
छोड़ दियो गर ,साथ हमारो
फिर कुण पार लगांवगों ।
जाये मतना ,अन्त समय तक
हमसे मुखंडां मोड़ कै ।
मान बढ़ा दे म्हारो दादी
चुनंडीं म्हारी ओढ़ कै ।
Bhajan Request – Ashish Deora
Kahalgaon